Techcalculation
यह एक हिंदी ब्लॉग है इस ब्लॉग पर आपको कम्प्यूटर, Internet, मोबाइल और अन्य सभी टेक्नॉलजी से सम्बंधित जानकरी हिंदी में मिलती है।
यह एक हिंदी ब्लॉग है इस ब्लॉग पर आपको कम्प्यूटर, Internet, मोबाइल और अन्य सभी टेक्नॉलजी से सम्बंधित जानकरी हिंदी में मिलती है।
Creative Innovative Informative
Creative Innovative Informative
किसी भी वैबसाइट को बनाने के लिए Domain नाम और वेब होस्टिंग की जरूरत होती है Domain Name वैबसाइट का नाम होता है और उसके बाद जरूरत होती है एक Web Hosting की तो आज इस पोस्ट में हम वेब होस्टिंग सर्वर के बारे में बात करेंगे कि क्या होता है web hosting और कैसे काम करती है और वेब होस्टिंग कितने तरह की होती है।
अगर सरल भाषा में कहा जाए तो वेब होस्टिंग एक सर्वर या एक कम्प्युटर है जिस पर वैबसाइट का सारा डाटा जैसे इमेज, विडियो, कमेंट, पोस्ट आदि स्टोर होते है। वेब होस्टिंग की मदद से एक एक वैबसाइट को इंटरनेट के जरिये दुनिया में कहीं से भी Access किया जा सकता है। यह वेब होस्टिंग के सर्वर या कम्प्यूटर, यह सामान्य कम्प्यूटर की तरह नहीं होते है। यह खासकर होस्टिंग के लिए उपयोग किए जाते है इस लिए इनकी Performance अच्छी होती है और यह हमेशा चालू रहते है और हमेशा इंटरनेट से जुड़े रहते है। और इन्हीं सारे Services, features और अपनी वैबसाइट के लिए डिस्क मेमोरी का उपयोग करने के लिए हमें इसका कुछ चार्ज देना पड़ता है। मतलब हम वेब होस्टिंग को किराये पर लेते है और अपनी वैबसाइट को उस सर्वर पर रखते है।
जब हम होस्टिंग सर्वर किराये पर ले लेते है और उसमें अपनी वैबसाइट का डाटा रख कर अपनी एक वैबसाइट बनाते है तो हमें अपने Domain Name को यह बताना पड़ता है कि हमारी वैबसाइट का डाटा किस सर्वर पर स्टोर है। या कहें तो हमें अपने डोमेन नाम को होस्टिंग सर्वर की तरफ Point करना होता है और डोमेन और होस्टिंग आपस में जुड़ जाते है। डोमेन नाम और होस्टिंग को आपस में जोड़ने के लिए DNS (Domain Name System) का इस्तेमाल किया जाता है। हर होस्टिंग सर्वर का DNS और IP अलग-अलग होती है।
अब जब भी कोई यूजर ब्राउज़र पर उस वैबसाइट का नाम डालता है तो request उस सर्वर की IP पर जाता है जिस सर्वर पर डोमेन नाम को Point किया गया था उसके बाद हम उस वैबसाइट का Content देख पाते है।
हमने समझ लिया है कि होस्टिंग क्या होती है और कैसे काम करती है अब बात करते है कि होस्टिंग कितने तरह की होती है वैसे तो वेब होस्टिंग कई प्रकार की होती है पर आज के समय में जो होस्टिंग सबसे ज्यादा उपयोग होती है में उनके बारे में बता रहा हूँ।
जैसा कि इसके नाम से पता चलता ही कि shared वेब होस्टिंग मतलब इसमें होस्टिंग सर्वर को सभी के साथ share किया जाता है।
Shared web hosting बनाने के लिए एक ही सर्वर लिया जाता है और उसमें से हजारों यूजर्स के लिए CUP, RAM और Disk space को बाँट कर सभी के साथ share कर दिया जाता है।
Shared वेब होस्टिंग सस्ती होती है और यह उन यूजर्स के लिए सही है जिनकी वैबसाइट छोटी है या वैबसाइट नयी है। अगर आपकी वैबसाइट नयी है तो आपको इस shared hosting को लेने के बाद कोई परेशानी नहीं होगी पर जैसे-जैसे आपकी वैबसाइट पर visitors आना शुरू होते है या आपकी वैबसाइट का ट्रेफिक बढ़ता है तो आप बाद में अपना होस्टिंग सर्वर बदल भी सकते है।
Shared hosting का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि एक ही सर्वर पर कई सारे यूजर्स को होस्टिंग दी जाती है इस लिए यह सस्ता होता है पर अगर इस सर्वर पर कोई खराबी होती है या सर्वर क्रेश होता है तो सभी की होस्टिंग डाउन हो जाएगी और सभी की वैबसाइट एक साथ बंद हो जाएगी।
VPS Hosting को Virtual Private Server कहते है इसके नाम से आपको पता चल रहा होगा कि यह एक Virtual Private Server होता है जहां एक High Performance server में कई अलग- अलग वर्चुअल मशीन या वर्चुअल सर्वर बना दिये जाते है। यह virtualization technology पर काम करता है और वर्चुअल सर्वर को होस्ट कहा जाता है और इन वर्चुअल सर्वर पर यूजर का पूरा कंट्रोल होता है। वह अपने हिसाब से जो भी Customization करना चाहते है वह कर सकते है। इसके अलावा एक सर्वर को Root access मिलता है जिससे उपयोगकर्ता अपने वर्चुअल सर्वर में एप्लिकेशन इन्स्टाल कर सकता है। एक सर्वर में कई वर्चुअल सर्वर बनाने ले लिए Hypervisor सॉफ्टवेर का उपयोग किया जाता है। Shared होस्टिंग की तुलना में VPS होस्टिंग थोड़ा महंगा होता है पर इसमें security, Performance अच्छी मिलती है। VPS होस्टिंग को ज़्यादातर गेम मेकर, प्रोग्रामर, या वह कंपनी जो Growth पर है इसका उपयोग करती है।
Dedicated Hosting इसके नाम में Dedicate शब्द है जिसका मतलब समर्पित करना। मतलब डेडीकेटिड होस्टिंग में पूरा सर्वर खुद का होता है डेडीकेटिड होस्टिंग में एक उपयोगकर्ता को पूरा सर्वर दे दिया जाता है। और यूजर इसे अपने हिसाब से Customize कर सकता है। यह सर्वर किसी के साथ साझा नहीं किया जाता है और न इस सर्वर पर वर्चुअल सर्वर बनाए जाते है। डेडीकेटिड होस्टिंग उनके लिए होता है जिनकी वैबसाइट पर बहुत ज्यादा डाटा होता है और वैबसाइट पर बहुत ज्यादा ट्रेफिक आता है। यह होस्टिंग बाकी होस्टिंग की तुलना में महंगी होती है। और इसे Manage करने के लिए आपके पास Technical Knowledge होना बहुत जरूरी है।
क्लाउड होस्टिंग में एक सर्वर की बजाय कई सर्वर का उपयोग किया जाता है। इस लिए वैबसाइट पर लोड संतुलित करना आसान रहता है और वैबसाइट डाउन होने की संभावना बहुत कम होती है। क्यूकी इसमें एक सर्वर की बजाय कई सर्वर का उपयोग किया जाता है और क्लाउड होस्टिंग के साथ आपको Cloud Clusters का एक हिस्सा मिलता है तो अगर एक सर्वर डाउन हो जाता है तो फिर भी दूसरे सर्वर उस वैबसाइट को चालू रखने के लिए हमेशा तैयार रहते है।
Clusters मतलब यह वर्चुअल मशीनों पर होस्ट किए गए नोड्स का एक समूह होता है। और वर्चुअल प्राइवेट क्लाउड सर्वर के भीतर जुड़ा हुआ होता है। वैबसाइट पर लोड बढ्ने पर वर्चुअल मशीनों पर Clusters बढ़ सकते है जिस से वैबसाइट की स्पीड पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
हमने जान लिया है कि Hosting कितने प्रकार की होती है अब जानते है कि Windows hosting और Linux hosting में क्या फर्क होता है।
हमें पता है कि वेब होस्टिंग एक सर्वर होता है और हर एक सर्वर या कम्प्युटर एक Operating system पर चलता है तो होस्टिंग सर्वर के लिए Windows और Linux ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है। पर windows OS फ्री नहीं है इसे उपयोग करने के लिए Microsoft से खरीदना पड़ता है। इस लिए विंडोज वेब होस्टिंग का चार्ज ज्यादा होता है और Linux एक Free open source OS है इसे खरीदने का कोई चार्ज नहीं लगता है इस लिए Linux वेब होस्टिंग का चार्ज कम होता है इसके अलावा लोगों का मानना है कि windows कि तुलना में Linux होस्टिंग ज्यादा Secure रहता है इस लिए ज़्यादातर लोग Linux होस्टिंग को लेना पसंद करते है।
होस्टिंग खरीदने से पहले हमें यह Decide करना होगा कि हम कोन सी कंपनी से होस्टिंग खरीदना चाहते है। बहुत सारी कंपनी है जो होस्टिंग सर्विस देती है जैसे
कंपनी चुनने के बाद आपको उस कंपनी की वैबसाइट पर जा कर अपना एक नया अकाउंट बनाना होगा। और उसके बाद अपने वैबसाइट के हिसाब से Hosting type decide करना होगा कि आप कोन सी होस्टिंग लेने चाहते है Shared hosting, VPS hosting, etc इसके साथ-साथ आपको यह भी सलेक्ट करना होगा कि आप वेब होस्टिंग कितने महीने या साल के लिए ले रहे है। उसके बाद आप यह देखिये कि आप Windows hosting पर जाना चाहते है या Linux होस्टिंग पर जाना चाहते है। आप इनमें से किसी भी प्लैटफ़ार्म को चुन सकते है। उसके बाद आपको यह देखना होगा कि आप जो होस्टिंग खरीद रहे है उसकी सर्वर लोकेशन India में है या India से बाहर की है अगर आपकी वैबसाइट केवल Indian लोगों के लिए है तो आप सर्वर लोकेशन इंडिया में ले सकते है इससे आपकी वैबसाइट कि स्पीड स्लो नहीं होती अगर आप अपने सर्वर लोकेशन को इंडिया से बाहर चुनते है तो आपकी वैबसाइट कि स्पीड में थोड़ा सा फर्क देखने को मिल सकता है क्यूकी अगर सारे आपकी वैबसाइट का सर्वर इंडिया से बाहर है तो वैबसाइट के डाटा को ज्यादा ट्रेवल करना पड़ेगा जिस से आपकी वैबसाइट कि स्पीड स्लो होगी।
अब सब कुछ आपने अपनी सुविधा और बजट के हिसाब से कर लिया है तो अब आपको यहाँ आपको GST और Tax मिला कर आपका पेमेंट कितना हुआ है वह दिखाया जाएगा और अब आपको पेमेंट करना होगा पेमेंट करने के लिए यहाँ बहुत सारे Option दिये होते है जैसे आप अपने Debit card, या UPI से पेमेंट कर सकते है। पेमेंट हो जाने के बाद आपको वेब होस्टिंग सर्वर का कंट्रोल आपको मिल जाएगा और आप इसमें अपनी वैबसाइट का डाटा रख सकते है और अपनी वैबसाइट को Host कर सकते है
उम्मीद है कि आपको वेब होस्टिंग सर्वर क्या होता है कैसे काम करता है और इसे कैसे खरीदते है इसके बारे में पता चल गया होगा। अगर आपका होस्टिंग से संवधित कोई सवाल है तो हमें कमेंट में पूछिए और इस पोस्ट को और लोगों के साथ share कीजिये।